OSI Model Kya Hai | जाने OSI Model की पूरी जानकारी | Update in 2023

 Hello Friends, आज मैं इस आर्टिकल में बताने वाला हूँ की OSI Madel Kya Hai और ये आर्टिकल बहुत ही Itersting होने वाला है। क्यों की हम इस आर्टिकल में जानेंगे एक कंप्यूटर Device से दूसरे कंप्यूटर Device तक Data कैसे पहुँचता है। एक Device से दूसरे Device तक पहुँचने के लिए Data को किन किन रास्ता से गुजरना पड़ता है उनके बारे मैं जानेंगे। Video, Text, और Other Data इतना Secure कैसे पहुँच जाता है। जो लोग कंप्यूटर के किसी भी Course कर रहे हैं या फिर कंप्यूटर के बारे में जानने की इच्छा रखते है। तो उनको OSI Model के बारे में जरूर जनना चाहिए। ये वो Part है - एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक Data send करने या Recive करने के पीछे क्या राज है और ये वाला Process होता कैसे है। 

आज इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपके मन में OSI Model के बारे में कोई भी Doubt नहीं रहेगा। तो फिर चलिए आगे बड़ते हैं और जानते हैं OSI Model Kya Hai.
     


    OSI Model Kya Hai


    OSI Model Kya Hai । OSI Model Kya Hai in Hindi


    सबसे पहले ये जान लेते हैं OSI का Full Form - Open System Interconnection  और ISO - इन International Organizations For Standardization के बारे में तो जानते ही होंगे। इन्होंने ही OSI Model को विकसित किया है, वो भी 1984 में। 

    OSI एक Model हैं। एक कंप्यूटर से दूसरे दूसरे कंप्यूटर में Communication करने के लिए एक Refernce Model है। एक कंप्यूटर से दूसरे दूसरे कंप्यूटर में Communicate यानी Data Send या Recived करने के लिए OSI Model में होने वाली 7 Layers का इस्तमाल होता है। इन्ही 7 Layers से Data हमारे कंप्यूटर डिवाइस में पहुँचता है। ये एक गजब बात है की किसी भी Layer एक दूसरे Layer के उपर निर्भर नहीं करते। लेकिन इन्ही 7 Layers से ही Data Transmit होता है। 

    OSI Model को आप इस तरह से समझ सकते हैं। OSI Model को कुछ इस तरीके से Design किया गया है ताकि वे एक Device से दूसरे Device में Data को Transmit कर सके। तो फिर चलिए जानते हैं OSI Model Ki 7 Layers के बारे में। 

    OSI Model Ki Layer in Hindi


    OSI Model की 7 Layers को आप नीचे दिये गए Image में देख सकते हैं। 


    OSI Model Kya Hai




    7 Layers of OSI Model in Hindi


    • Application Layer
    • Presentations Layer
    • Season Layer
    • Transport Layer
    • Network Layer 
    • Data Link Layer
    • Physical Layer


    आब अपने OSI Model के 7 Layer के नाम के बारे में जान गए। अब बहुत कुछ जानना बाकी है। क्योंकि अब हर एक Layer को बारीकी से जानेंगे। एक एक Layer क्या है इनका काम क्या है और OSI Model में जो Data Transfer होते हैं उसमे कौन सी जिन्मेदारी निभाते हैं। 

    Physical Layer


    Physical Layer OSI Model के सबसे पहला और नीचे का Layer है। ये Hardware वाले हिस्से में काम करती है। इसका मतलब Etectrical Signal, Electrical Connection , Voltage ये सब का Responsiblity Physical Layer का होता है। 

    Physical Layer क्या काम करता है। 


    • एक से अधिक Device को कैसे Connect करेगा वो भी physically इसका जिन्मदार Physical Layer है। Wire से Connect होगा या फिर Wireless से ये तय करता है Physical Layer। 

    • Physical Layer नेटवर्क में दो Device के बीच Transmission Mode को Enable करता है। चाहे वो किसी भी प्रकार के Mode में हो। वैसे तो तीन प्रकार के Mode होते हैं - Simplex, Half-Duplex, और Full Duplex. 

    • Physical Layer - Electrical Signal को Digital Signal में और Digital Signal को Electrical Signal में बदलने का काम करता है। 

    • Network Topology के काम को भी Physical Layer Complete करता है। 

    • दूसरे Device से आने वाले Data Electrical Signal में आता है उसे Digital Signal में बदल कर Data Link Layer में भेज देता है। ये Data Recived करने समय यह Process करती है और Send करने समय इसका विपरित यानी Digital Signal को Electrical Signal में Convert करती है। 

    Friends ये आर्टिकल थोड़ा लंबा होगा क्योंकि पूरे Details और Simple Language में बताने की कोसिस करूँगा। छोटी सी Request है आराम से पढ़ना। 


    Data Link Layer

    ये Data Link Layer नीचे से दूसरी नंबर Layer पर आता है। ये वो Layer है जहाँ Data Packets की Encode और Decode होता है। इस Layer को Frame Unit नाम से भी जाना जाता है। और इसका दो Sub Layer भी हैं। 
    दो सब Layer के नाम
    • MAC - Media Access Control
    • LLC - Logic Link Control
    इन दोनों Sub Layer के अलावा Data Link Layer में दो तरह के Protocols भी होते हैं जो Transmission के लिए इस्तमाल किया जाता है। 
    • एक - HDLC (High Level Data Link Control) 
    • दूसरा - PPP ( Point to Point Protocol) 

    Data Link Layer क्या काम करता है। 


    • ये Layer, Data Packets को Encode और Decode करता है। 

    • Data Rate को Maintain करता है। और ये भी चेक करता है की Data Packets में Error तो नहीं। 

    • जब किसी Device से Data Recived होती है तब पहले Physical Layer में Electrical Signal से Digital Signal में Convert हो जाता है। अब Data लिंक Layer में वो Data डिजिटल रूप में तो होते हैं लेकिन Packets के रूप में आते है। और इन्ही Packets को खोलना ओर बंद करना इस Layer का  काम है। जिसे हम Encode और Decode करना कहते हैं। 

    • उस Packets के अंदर कोई Error है या नहीं इसे चेक करने की काम भी Data Link Layer करता है। 

    Network Layer

    OSI Model के 3rd Layer Network Layer है। ये वो Layer है जहाँ  Device के लिए Logical Address यानी की IP Address Generate होती है। इसी Layer में Switching तथा Routing का भी काम होता है। और इसे Packets Unit भी कहते हैं। 

    Network Layer क्या काम करता है


    • Network Layer का एक main काम होता है Device को IP Address प्रदान करना। 
    • Data Packets को एक Device से दूसरे Device तक पहुँचने का काम इसी Layer का होता है। 
    • इस Layer का काम Routing तथा Switching होता है इसका मतलब - Data Packets कौन सी Device में जाएगा किस रास्ते में जाएगा यह भी निर्धारित करता है। 



    Transport Layer


    Segment Unit - OSI Model के चौथे Layer "Transport Layer".इस Layer को End to End Layer भी कहा जाता है। इस OSI Model में Transport Layer का काम यह होता है की Network के बीच जो Data डिवाइस तक पहुँचती है। उसे सही तरीके से पहुचना होता है। 


    Data Link Layer में "Data Packets" के Error को चेक करता था लेकिन इस Layer में Data के Error को चेक करता है। 

    हमने जिस क्रम में Data को भेजा है उसी क्रम में जा रहा है या नहीं उसे भी चेक करके conform करता है। 

    Transport Layer के दो प्रमुख Protocol
    1 -  TCP (Transfer Control Protocol) 
    2 -  UDP (User Datagram Protocol) 

    Transport Layer क्या काम करता है


    • Transport Layer एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में Data पहुँचाने का कार्य करता है। 
    • ये Device में Point to Point Connection बनाता है। 
    • इसका काम Connection को बनाये रखना यानी Control करना भी होता है। 


    Session Layer 


    OSI Model के 5th नंबर पर आता है Session Layer। ये Layer कंप्यूटर के बीच एक Session प्रदान करती है। 
    हम जब Internet पर या फिर किसी भी Network पर जो दो Device के बीच एक Connection बनती है, उसमे आप चाहे कुछ भी करे जैसे - Website खोलना, Download करना, Upload करना आदि। इसमें जो सर्वर और Clint बीच Session बनते है ये Session Layer के द्वारा ही संभब है। 

    Session Layer क्या काम करता है

    • Session Layer का एक Main काम होता है दो डिवाइस के बीच एक Session की स्थापना करना। 


    Presentation Layer

    ये OSI Model के छठा Layer है। इसे Syntax Layer भी कहा जाता है कियुंकी इस Layer में Data की Syntax को सही ढंग से Maintain करता है। अब User के बहुत करीब आ चुके हैं। कियुंकी अब User की दो ही स्टेप की दूरी पर हैं। 
    Data की encryption तथा decryption करने के लिए इसी Layer का प्रयोग किया जाता है। इस Layer Operating System से संबंधित होता है। 



    Presentation Layer क्या काम करता है। 


    • इस Layer में Data की encryption और decryption होता है ताकि Data सुरक्षित रहे। 
    • Data को Translate करने का काम भी इसी Layer में होता है। 
    • Compression करना भी इस Layer एक मुख्य कार्य है। और ये इसीलिए जरूरी है ताकि Compress करके Data की Size  को काफी हद तक कम किया जा सके। 



    Application Layer

    ये OSI Model के उच्चतम और लास्ट Layer है। Application में जो Interface प्रदान करते हैं ये वही Layer है Application Layer। इस Layer User के सबसे करीब होती है। 
    ये Layer तय करती है की कोई भी Application किस प्रकार का Network को access करेगा। इस Layer के अंतर्गत कुछ Protocol आते है  जिनका नाम है -  HTTP, SMPT, FTP, NFS आदि। 

    Application Layer क्या काम करता है। 


    • Application Layer के द्वारा कंप्यूटर में फाइल को एडिट कर सकते है मूव कर सकते है,ईमेल करना, पूरी तरह Data फाइल का Access Control इसी Layer में होती है। 


    Advantage of OSI Model in Hindi


    OSI Model के लाभ के बारे में 6 Points. 


    1. मानकीयकरण: ओएसआई मॉडल एक मानकीय प्रोटोकॉल स्टैक है जिसे प्रत्येक स्तर पर परिभाषित किया गया है। इसका परिणाम यह है कि विभिन्न नेटवर्क उपकरणों को एक ऐसी संरचना दी जाती है जो संगठित, मानक और संगत होती है, जिससे सुविधाजनक प्रोटोकॉल कम्युनिकेशन संचार संभव होता है।

    2. प्रतिष्ठा: ओएसआई मॉडल का उपयोग करने से नेटवर्क इंजीनियरिंग को बेहतर प्रतिष्ठा मिलती है। क्योंकि इसमें छह स्तर होते हैं और प्रत्येक स्तर का अपना उद्देश्य होता है, इसलिए नेटवर्क को प्रबंधन और दुरुस्त करने में आसानी होती है।

    3. प्रोटोकॉल अविरोध: ओएसआई मॉडल की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि इसके अलग-अलग स्तरों में उपयोग होने वाले प्रोटोकॉल्स एक दूसरे से अविरोधी होते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि नेटवर्क के विभिन्न तत्वों के बीच संचार में कोई त्रुटि नहीं होती है और नेटवर्क सुरक्षित और स्थायी रहता है।

    4. विकासक्षमता: ओएसआई मॉडल में स्तरों की संरचना से उत्पन्न लाभ यह है कि इसे आसानी से विकसित, बदला और अद्यतित किया जा सकता है। किसी भी स्तर में बदलाव करने से अन्य स्तरों को प्रभावित किए बिना विशेषताओं में सुधार किया जा सकता है।

    5. प्रोटोकॉल की विनिमय शक्ति: ओएसआई मॉडल के अलग-अलग स्तरों में प्रोटोकॉल विनिमय की शक्ति होती है। यह मतलब है कि अगर किसी स्तर पर एक प्रोटोकॉल विफल हो जाता है या अद्यतित किया जाता है, तो इसका प्रभाव सिर्फ उस स्तर को होता है, बाकी स्तरों को प्रभावित नहीं करता है।

    6. प्राथमिकता: ओएसआई मॉडल में प्रत्येक स्तर की एक विशेष प्राथमिकता होती है, जिससे नेटवर्क की व्यवस्था और प्रबंधन को सरल और सुविधाजनक बनाया जा सकता है। इसके माध्यम से नेटवर्क इंजीनियरिंग कार्यों को संगठित रूप से प्राथमिकता दी जा सकती है, जिससे सुरक्षा, प्रदाताओं की पहूँचने की व्याप्ति और संचार की क्षमता में सुधार हो सकता है।


    Disadvantages of OSI Model in Hindi


    OSI Model के नुकसान (Disadvantages of OSI Model) के बारे में 6 Points. 


    1. जटिलता: ओएसआई मॉडल एक विस्तृत और जटिल प्रोटोकॉल स्टैक है, जिसके कारण इसकी समझने और प्रशिक्षण करने में कठिनाई हो सकती है। प्रत्येक परत को अलग-अलग उद्देश्य और निर्देश दिए गए हैं, जिससे इसका उपयोग थोड़ा असंगठित और मुद्देबाज हो सकता है।

    2. कार्यक्षमता: ओएसआई मॉडल की कार्यक्षमता सीमित हो सकती है क्योंकि इसमें ज्यादातर परतें स्थिर होती हैं। यदि किसी परत में कोई समस्या होती है, तो पूरा मॉडल प्रभावित हो सकता है, जिससे नेटवर्क की सार्वभौमिक कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।

    3. संगतता की कमी: ओएसआई मॉडल ने संगतता की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। कुछ प्रोटोकॉल ने अपनी खुद की स्थापना की है और इसलिए दूसरे प्रोटोकॉल के साथ संगत नहीं हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, नए प्रोटोकॉल को शामिल करना या प्रोटोकॉल स्तर पर बदलाव करना कठिन हो सकता है।

    4. कीमत: ओएसआई मॉडल को अपनाने की लागत उच्च हो सकती है। परतों की बड़ी संख्या, विभिन्न प्रोटोकॉल का विकास और तत्परता के लिए विशेष उपकरणों की जरूरत हो सकती है, जिससे पूर्ण मॉडल को लागत आवंटित की जाती है। इसलिए, छोटे और संघटित नेटवर्कों के लिए इसका उपयोग करना अधिक आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हो सकता है।

    5. गति की कमी: ओएसआई मॉडल को ज्यादा गति की आवश्यकता हो सकती है। प्रत्येक परत को विशेष प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है और इसके लिए अतिरिक्त समय लग सकता है। यह बाधात्मक रूप से एक व्यापक और तत्परता नेटवर्क पर असर डाल सकता है, जहां गति की आवश्यकता होती है, जैसे वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग या विशेष प्रकार के डेटा परामर्श।

    6. प्रदूषण: OSI Model अपने बड़े और विस्तृत प्रोटोकॉल स्टैक के कारण प्रदूषण की समस्या का सामना कर सकता है।

     प्रत्येक परत को अलग-अलग सेगमेंट में जोड़ा जाता है, जिससे अतिरिक्त हेडर ज्ञान और डेटा के प्रयोग की आवश्यकता होती है। इससे नेटवर्क का उपयोग अतिरिक्त बैंडविड्थ का उपयोग करके ज्यादा करता है, जो परिणामस्वरूप व्यर्थि-कारी हो सकता है और पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।


    TCP/IP in Hindi

    थोड़ा सा TCP/IP के बारे में जान लेते हैं। इसके आगे हम जानेंगे TCP/IP Model के बारे में। 
    TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol) एक नेटवर्क प्रोटोकॉल सूचना मॉडल है जिसे इंटरनेट और अन्य नेटवर्कों में डेटा को अद्यतन, प्रसारित, और प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह डेटा को  संचालित करने, और प्रवाहित करने के लिए एक Standards तकनीक प्रदान करता है।

    TCP/IP के निम्नलिखित प्रकार होते हैं:

    1. TCP (Transmission Control Protocol): यह एक प्रोटोकॉल है जो सुरक्षित, निष्पक्ष और तकनीकी रूप से सही डेटा प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार होता है। यह डेटा सत्यापन, पूर्णता की जांच, विराम के साथ डेटा के बाइट भेजने और प्राप्त करने के लिए प्रदान करता है।

    2. IP (Internet Protocol): यह प्रोटोकॉल नेटवर्क को व्यक्तिगत आईपी एड्रेस के माध्यम से उचित पहुंच प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होता है। यह प्रत्येक डेटाग्राम को सही प्राप्तकर्ता तक पहुंचाने और वितरित करने के लिए नेटवर्क प्रोटोकॉल सूचना का उपयोग करता है।

    3. UDP (User Datagram Protocol): यह एक द्रव्यांश रहित प्रोटोकॉल है जो डेटा के निर्दिष्ट गोलकार प्राप्तकर्ता को पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होता है। यह डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिए कम कवर के साथ तत्परता प्रदान करता है, जिससे गति बढ़ती है, लेकिन डेटा की प्रामाणिकता या पूर्णता की कोई गारंटी नहीं होती है।

    TCP/IP Model in Hindi

    उपर बताए गए ये तीनों प्रोटोकॉल TCP/IP मॉडल में सम्मिलित होते हैं और एकसाथ काम करते हैं ताकि नेटवर्क को एकीकृत, सुरक्षित, और प्रभावी तरीके से व्यवस्थित किया जा सके।

    TCP/IP Model Kya Hai

    TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol) मॉडल एक नेटवर्क प्रोटोकॉल सूचना मॉडल है जिसे  Network Communication के लिए उपयोग किया जाता है। यह Model नेटवर्क प्रोटोकॉल्स की व्यवस्था और व्यवहारिकता को संगठित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। TCP/IP Model इंटरनेट प्रोटोकॉल Suite का मूल भाग है और इंटरनेट पर संचालित सभी संचार को संचालित करने के लिए इसका उपयोग होता है।


    TCP/IP Model Layers

    TCP/IP मॉडल में निम्नलिखित चार (Layers) होती हैं  :-


    • (Network Interface Layer): यह परत नेटवर्क कार्ड, ड्राइवर, और फिजिकल कनेक्शन के साथ संचार करती है। इस Layer में डेटा को बाइनरी रूप में पैकेट बनाने और भेजने के लिए प्रोटोकॉल जैसे Ethernet, Wi-Fi, या DSL इत्यादि का उपयोग किया जाता है.
    •  (Internet Layer): इस Layer में IP (Internet Protocol) कार्य करता है, जो डेटाग्राम पैकेटों को नेटवर्क में पहुंचाता है। IP Address का उपयोग करता है जो डेटा को सही प्राप्तकर्ता तक पहुंचाने के लिए योजना बनाता है।

    •  (Transport Layer): यह Layer नेटवर्क कनेक्शन की स्थापना, संचालन, और संभाल करती है। यह TCP (Transmission Control Protocol) और UDP (User Datagram Protocol) जैसे प्रोटोकॉल्स का उपयोग करता है। TCP अत्यधिक सुरक्षित और त्रुटि-सुधारशील संचार को सुनिश्चित करता है, जबकि UDP तेज और अत्यधिक लागत-कारी संचार को समर्थित करता है।

    • (Application Layer): यह Layer उपयोगकर्ता अनुप्रयोगों और इंटरनेट सेवाओं को संचालित करने के लिए डेटा के स्तर के संचार को प्रबंधित करती है। यह Layer विभिन्न प्रोटोकॉल्स जैसे HTTP (Hypertext Transfer Protocol), FTP (File Transfer Protocol), DNS (Domain Name System) और SMTP (Simple Mail Transfer Protocol) का उपयोग करती है।

    यह TCP/IP Model संचार के लिए एक संपूर्ण संरचना प्रदान करता है जिससे नेटवर्क संचार व्यवस्थित और सुरक्षित होता है।


    Features of OSI Model in Hindi


    OSI Model की 5 मुख्य विशेषताएं  नीचे बताए गए हैं  :- 


    1.  OSI Model अलग-अलग परिचालन स्तरों का निर्धारण करता है और प्रत्येक स्तर को अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार बनाता है, जिससे परिचालन में सुगमता होती है।

    2.  OSI Model प्रोटोकॉलों को संगठित रूप में व्यवस्थित करने की अनुमति देता है। प्रत्येक स्तर प्रोटोकॉलों के लिए निर्देशित होता है और इन्हें स्थानांतरित करने के लिए उचित नियमों का पालन करता है।

    3.  OSI Model के अनुसार, प्रत्येक स्तर अपने तत्वों को व्यवस्थित करता है और उन्हें अपने तरीके से कार्य करता है। इससे स्वतंत्रता बनी रहती है और इंटरफेसिंग को सुगम बनाया जाता है।

    4.  OSI Model में नेटवर्क अंतरसंवाद एक महत्वपूर्ण विशेषता है। प्रत्येक स्तर अपने नीचे के स्तरों के साथ संचार करता है और उनके बीच सामंजस्य सुनिश्चित करता है, जिससे सुरक्षित और सही संचार होती है।

    5.  OSI Model Network प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करता है। प्रत्येक स्तर की जिम्मेदारी और सीमाओं की स्थापना सुनिश्चित करके, संचार प्रदूषण को रोकने में मदद करता है और नेटवर्क के कार्यक्षेत्र में विपथन को रोकता है।

    OSI Model Kya Hai  से जुड़े कुछ सवाल और जवाब


    Question No 01. OSI Model Kya Hai?

       Answer: OSI Model एक नेटवर्क को इंटरनेटवर्क में विभाजित करने और संचालित करने के लिए एक संरचना Model है।

    Question No 02. OSI Model में कितने लेयर होते हैं?

       Answer: OSI Model में कुल 7 लेयर होते हैं।

    Question No 03. OSI Model के प्रत्येक लेयर का उद्देश्य क्या होता है?

       Answer: प्रत्येक OSI Model का लेयर नेटवर्क प्रोटोकॉल के विभिन्न स्तरों के लिए सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

    Question No 04. OSI Model का पूरा नाम क्या है?

       Answer: OSI Model का पूरा नाम "Open Systems Interconnection" Model है।

    Question No 05. डेटा की लेयर पर OSI Model कौन-कौन सी सुविधाएं प्रदान करती है?

       Answer: डेटा की लेयर पर OSI Model, डेटा के समूहों को फ़्रेम में व्यवस्थित करने, Error नियंत्रण, Flow नियंत्रण, और Access नियंत्रण जैसी सुविधाएं प्रदान करती है।

    Question No 06. प्रोटोकॉल सूत्र OSI Model के कौन-कौन से लेयरों पर काम करती हैं?

       Answer: प्रोटोकॉल सूत्र नेटवर्क लेयर, डेटा की लेयर और फिजिकल लेयर पर काम करती हैं।

    Question No 07. प्रोटोकॉल सूत्र का उद्देश्य क्या होता है?

       Answer:  प्रोटोकॉल सूत्र का उद्देश्य एक संदेश को ट्रांसमिट करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करना होता है ताकि संदेश सही तरीके से प्राप्त हो सके।

    Question No 08. प्रोटोकॉल सूत्र में प्रयुक्त डेटा की संरचना कैसी होती है?

       Answer: प्रोटोकॉल सूत्र में प्रयुक्त डेटा हेडर और पेलोड के रूप में संरचित होती है, जहां हेडर में मेटाडेटा होती है और पेलोड वास्तविक डेटा होता है।

    Question No 09. ट्रांसपोर्ट लेयर का कार्य क्या है?

       Answer: ट्रांसपोर्ट लेयर, इंटरनेटवर्क पर सतत संचार की सुनिश्चित करने के लिए डेटा सेवाओं को प्रदान करती है, जिसमें डेटा के टुकड़ों को संचालित करना और एरर नियंत्रण शामिल होता है।

    Question. फिजिकल लेयर का कार्य क्या है?

        Answer: फिजिकल लेयर, bits को नेटवर्क माध्यम के जरिए ट्रांसमिट करने और प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिकल, विज्ञानिक और मानकों को परिभाषित करती है।

    Conclusion


     आज के इस आर्टिकल OSI Model Kya Hai को पढ़ कर आपने OSI Model के बारे में बहुत कुछ जान चुके होंगे। अगर इस आर्टिकल से जुड़े आपके मन में कोई सवाल या सुझाब है तो Comment करके जरूर बताए। और ऐसे कंप्यूटर से जुड़े जानकारी को पाने केलिए इस ब्लॉग को Follow करे। जाते जाते यही कहूंगा हमेशा ज्ञान को बढ़ने में वक्त दें। 

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